A Secret Weapon For Shodashi

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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a way of Neighborhood and spiritual solidarity among the devotees. During these events, the collective energy and devotion are palpable, as individuals engage in many forms of worship and celebration.

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥

यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः

इति द्वादशभी website श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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